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लेखनी कहानी -07-Jul-2022 डायरी जुलाई 2022

गौरव के क्षण  : द्रोपदी मुर्मू के संग 


डायरी सखि, 
अब तो स्पष्ट रूप से परिलक्षित हो रहा है कि मेरा देश बदल रहा है । समाज के दलित, वंचित, आदिवासी, वनवासी लोगों को उचित मान सम्मान मिल रहा है और उन्हें मुख्य धारा में लाया जा रहा है । पहले दलित वर्ग से और अब आदिवासी जनजातीय वर्ग से राष्ट्रपति का बनना इस बात का परिचायक है सखि । अब इन्हें केवल वोट बैंक नहीं समझा जाता बल्कि इनके सर्वांगीण विकास की योजनाएं बनाई जाती हैं जो बदलते भारत को इंगित करती हैं । 

सखि, देश के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति के लिए 18 जुलाई को मतदान संपन्न हुआ था और कल 21 जुलाई को परिणाम भी आ गया । इस पद के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने श्रीमती द्रोपदी मुर्मू एवं विपक्षी गठबंधन ने यशवंत सिन्हा को अपना प्रत्याशी बनाया था । जिस दिन द्रोपदी मुर्मू ने अपना नामांकन पत्र प्रस्तुत किया और संवीक्षा के बाद उसे वैध नामांकन पत्र पाया गया तभी से द्रोपदी मुर्मू की विजय पक्की समझी जा रही थी । यद्यपि राजग के पास कुल 49% ही मत थे मगर कुछ तटस्थ राजनीतिक दलों यथा बीजू जनता दल, वाई एस आर सी पी और कुछ अन्य दलों ने द्रोपदी मुर्मू को अपना समर्थन देने की घोषणा कर दी थी इसलिए उनकी जीत निश्चित थी । 

जब परिणाम आया तो वह चौंकाने वाला था । मुर्मू को 64% मत प्राप्त हुए और यशवंत सिन्हा को केवल 35% मत ही हासिल हो पाए   आश्चर्य तो तब हुआ जब विपक्ष के कम से कम 17 सांसदों और 104 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग करते हुए मुर्मू को वोट दिया । सांसदों में से 540 ने मुर्मू और 208 ने यशवंत सिन्हा को मत दिया था । ऐसा नहीं है कि क्रॉस वोटिंग किसी एक दल के विधायकों और सांसदों ने की है , बल्कि ज्यादातर दलों के विधायकों ने अपना मत व समर्थन इन्हें देकर एक आदिवासी महिला को सर्वोच्च पद पर बैठाने में अपना योगदान दिया है । इनमें असम से 22, मध्य प्रदेश से 19, महाराष्ट्र से 16, गुजरात से 10, झारखंड से 10, छत्तीसगढ से 6, बिहार से 6, गोवा से 4,हिमालय प्रदेश से 2 विधायक शामिल हैं जिन्होंने अपनी पार्टी के व्हिप का उल्लंघन करके मुर्मू को मत दिया है  । इस प्रकार द्रोपदी मुर्मू की यह जीत एक ऐतिहासिक जीत बन गई है । 

25 जुलाई को शपथ ग्रहण समारोह होगा और उस दिन वे देश के सर्वोच्च आसन पर विराजमान होंगी । द्रोपदी मुर्मू उड़ीसा राज्य के मयूरभंज जिले के बाइदापोसी गांव की रहने वाली हैं । इनके दादाजी और पिताजी सरपंच रहे हैं । इन्होंने बी ए किया है । 64 साल की उम्र में ये राष्ट्रपति बन जायेंगी जो अब तक की सबसे युवा राष्ट्रपति होंगी । 

इन्होंने अपने जीवन का सफर अध्यापन करने से शुरू किया था । बाद में कनिष्ठ लेखाकार भी रहीं । इसके बाद ये राजनीति में आ गईं और रायरंगपुर नगरपालिका की पार्षद बनी । उसके बाद उसी नगरपालिका की अध्यक्ष भी बनीं । सन 2000 से 2009 तक उड़ीसा विधान सभा में भाजपा की विधायक रहीं और भाजपा तथा बीजू जनता दल की सरकार में पहले वाणिज्य व यातायात राज्य मंत्री रहीं । बाद में मत्स्य एवं पशुपालन राज्य मंत्री , स्वतंत्र प्रभार रहीं । वर्ष 2015 से 2021 तक ये झारखंड राज्य की राज्यपाल रही हैं । इस प्रकार द्रोपदी मुर्मू की जीवन यात्रा फर्श से अर्श तक पहुंचने की रही है । 

यदि हौंसले मजबूत हों तो मौत भी इरादे बदल नहीं सकती है सखि । यह द्रोपदी मुर्मू जी ने करके दिखाया है । वर्ष 2009 से 2015 के मध्य इन पर कुदरत ने जमकर कहर ढाया था । इनके दोनों पुत्रों और पति का असामयिक निधन इसी अवधि में हुआ था । लेकिन इन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने पथ पर मंथर गति से चलती रहीं । महान लोग अपने विचारों और अपने कर्मों से ही अपना मुकाम हासिल कर पाते हैं सखि  । इन्होंने यह करके दिखाया है । हम सबके लिए इनका जीवन प्रेरणादायक है सखि । अब उम्मीद करते हैं कि आदिवासी समाज भी तेज गति से प्रगति के पथ पर चल कर देश के विकास में और अधिक योगदान देगा । देश का भविष्य उज्जवल है सखि । 

आज इतना ही , कल फिर मिलते हैं सखि । 

श्री हरि 
22.7.22 

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8 Comments

नंदिता राय

25-Jul-2022 04:28 PM

शानदार प्रस्तुति 👌

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Shnaya

25-Jul-2022 03:36 PM

शानदार प्रस्तुति

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Milind salve

25-Jul-2022 01:01 PM

Nice

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